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________________ श्लोकानुक्रमणिका - 223 पृष्ठांका: 173 172 174 174 167 पद्यानि : मात्मारामश्चिदा० प्रादिदेवो प्राधमेघः प्राधेड्य प्राद्य उपासनानां एकधीरेकपू: एकातपत्र ऐन्द्री श्रीः कृतज्ञः कृत० कृतान्तसट गच्छे श्रीविनय गुणातीतो चतुष्कभागष्ट चितार्धिप्रद चिन्तामणिः तिन्मन्त्रो छन्दोऽतीतो जगत्माता जगत्पतिर्जग० जगत्पूज्यो जगत्सारो जगदयों जगद्वैद्यो जगन्नाथो जितारिरजिती तत्सातीर्थ्य भता तस्याष्टसहस्राख्या ur or FUur or Us or पृष्ठांकाः / पद्यानि 174 त्रयीतनुस्त्रयी 181 त्रयीमयस्त्रयी 182 दयासिन्धर्दया 182 दयास्थायी 167 दशधर्माऽनन्त 183 धर्मचक्री 171 धर्मत्यागी धर्मधातु 171 धर्मयूपो . 177 धर्मविद्धर्म 183 धर्मदम्भी . 170 धर्मोत्तरो 183 / धीशो धियः 177 ध्यानातीतो | नयोत्क्रान्तो 166 निरक्षः कृत 171 पञ्चमङ्गल 166 पद्मशः पद्म 170 परमेष्ठी 170 पश्यत्यात्मा 170 प्रमापादान: प्रक्षीण वन्धः 170 / प्राणायामप्रकटितः प्राणोत्तरः 177 प्रौढोऽनढो 184 बन्धुरो रुचिर 165 | भवान्ध्यगस्ति 178 171 178 172 166 172 181 182 170 177 174 182 178 170
SR No.004489
Book TitleArshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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