________________ सिद्धसहस्रनामकोशः 166 मन्त्रमूर्ति मन्त्रबीज मन्त्रन्यासश्च मन्त्रराट् / महामन्त्री मन्त्रपति “ध (4) र्मस्थानं सुमन्त्रभूः // 11 // चिन्मन्त्रो मन्त्रसंस्थानो" मन्त्रेडयो 2 मन्त्रपूजितः / मन्त्रमात्रः" स्फुरन्मन्त्रो" मन्त्रदेवश्च मान्त्रिक: // 12 // पञ्चमङ्गलमन्त्रश्च" सर्वमन्त्रावतारवान्" / 'मन्त्रे प्रत्यक्षरूपो०० यस्तस्मै भगवते नमः // 13 // // इति महोपाध्याय "श्रीयशोविजयगणि" समुच्चिते राजनगरवास्तव्यसङ्घमुख्य साह– 'पनजी' सुश्रूषिते सिद्धनामकोशे द्वितीयशतकप्रकाशः // 2 // 2 अथ तृतीयशतकप्रकाशः - जगन्नाथो' जगज्ज्येष्ठो' जगत्स्वामी' जगत्पिता। जगन्नेता जगद्भर्ता जगद्वन्धुर्जगद्गुरुः // 1 // जगत्त्राता जगत्पाता जगद्रक्षो जगत्सख:१२ / जगदीशो" जगत्स्रष्टा" जगद्वन्द्यो५ जगद्धितः१६ // 2 // 1. य० संज्ञकप्रतेः प्रथमं पत्र विनष्टम्, अतो द्वितीयपत्रस्य प्रथमपृष्ठे प्रारम्भः “त्रप्रत्यक्षरूपो" इत्यतो विद्यते / . 2. नमः // 13 // द्वितीयशतकप्रकाशः // 2 // जं० / 3. गत्सुहन् य० / .