SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 519
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ anwwwwwwwwwww anwar ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटोका-विराजितम् 515 अदितिः-सम्भावणीअप्पहावा से आकिदी। [सम्भावनीयप्रभावाऽस्याऽऽकृतिः]। मातलि:-~-आयुष्मन् ! एतौ पुत्रप्रीतिपिशुनेन चक्षुषा दिवौकसां पितरावायुष्मन्तमवलोकयतः ! / तदुपसर्प / चापेन = धनुषा / तत् = जगद्विदितमाहात्म्यं / मघोनः = इन्द्रस्य / कोटिमत् = शतकोटि / ( 'सौ पहलदार' ) / कुलिशं = वजं / विनिवर्तितं कर्म यस्य तत् = समाप्तस्वकार्य सत्, आभरणमात्रमेव जातं / भूषणरूपतयैव केवलं वज्रमिन्द्रहस्ते तिष्ठति, तत्कार्यमसुरविजयरूपन्तु एतद्धनुषैव सम्प्रति क्रियते इति भावः / [ उदात्तं / रूपकम् / अनुप्रासश्च / 'वसन्ततिलका वृत्तम्' ] // 26 // ___सम्भावनीयः प्रभावो यस्याः सा प्रभावशालिनी / आकृतिः = मूर्तिः / रूपम् / आकृत्यैव ज्ञायते महानुभावोऽयमित्याशयः / पुत्रे या प्रीतिस्तस्याः पिशुन, तन पुत्रप्रीतिपिशुनेन = पुत्रवत्स्नेहं त्वयि सूचयता / दिवाकसां= देवानां / पितरौ = अदितिकश्यपौ / उपसर्प= निकटं गच्छ। 'पिशुनौ खलसूचकौ' इत्यमरः। धनुष से ही अपने ( वज्र के ) कर्त्तव्य कार्यों की-असुरों के वध की-सिद्धि हो जाने से, सौपहलदार वह इंद्रका वज्र-अब इन्द्र के लिए शोभामात्र-फलक एक आभूषण की तरह ही हो रहा है / अर्थात्-इन्द्र के वज्र का काम हैदैत्य, दानव, असुरों को मारना, उस कार्य को तो अब इस राजा का धनुष ही कर रहा है, अतः अब वज्र के लिए कोई कार्य तो करने को रहा नहीं है, अतः वह वज्र तो अब इन्द्र का एक प्रकार से आभूषण ही हो रहा है, आयुध नहीं रहा। क्योंकि-उससे अब इन्द्र को कोई काम तो लेना नहीं पड़ता है // 26 // अदिति-ठीक है। इसकी आकृति से मालूम होता है, कि-यह कोई प्रभावशाली पुरुष है। मातलि हे आयुष्मन् ! देखिए, पुत्र की तरह प्रीति ( पुत्र में जैसा स्नेह होता है, उसी प्रकार के स्नेह ) की सूचना देने वाले अपने नेत्रों से ये देवताओं के माता-पिता ( अदिति और कश्यर ) आपको देख रहे हैं / भवः आप इनके निकट चलकर इनको प्रणाम करिए /
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy