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________________ अभिज्ञानशाकुन्तलम् [ सप्तमोराजामातले ! ( एतौ-) पाहुादशधा स्थितस्य मुनयो यत्तेजसः कारणं, भर्तारं भुवनत्रयस्य सुषुवे यद्यज्ञभागेश्वरम् / यस्मिन्नात्मभुवः परोऽपि पुरुषश्चक्रे भवायाऽऽस्पदं, __ द्वन्द्वं दक्ष-मरीचिसम्भवमिदं तत्स्रष्टुरेकान्तरम् ? // 27 // प्राहुरिति / / यत्-द्वन्द्व = मिथुनं / द्वादशधा स्थितस्य = द्वादशात्मकस्य / तेजसः = आदित्यस्य सूर्यस्य / 'द्वादशात्मा दिवाकरः' इत्यमरः / कारणं = निदानं / बनकमिति यावत् / मुनयः = ऋषयः / प्राहुः / किञ्च यत् = द्वन्द्वं-भुवनत्रयस्य = त्रैलोक्यस्य / भर्तारं = पालकं / यज्ञभागानामीश्वरं = देवराजमिन्द्रं / सुषुवे = जनयामास / किञ्च यस्मिन्द्वन्द्वे आत्मभुवः = ब्रह्मणोऽपि / परः = श्रेष्ठः / पुरुषः = विष्णुः / भवाय = लोककल्याणाय / आस्पदं = प्रतिष्ठां / चक्रे = चकार / वामनरूपेणावततारेति यावत् / तत् = तथा प्रसिद्धम् / स्रष्टुः = ब्रह्मणः / एकमन्तरं यस्य तत्तथेति / ब्रह्मणा कश्यपस्य एकेन मरीचिना व्यवधानम् / एवम् अदितेश्च ब्रह्मणा एकेन दक्षेण व्यवधानमिति कथनात्परमं पवित्रत्वं सूचितमनयों: / दक्ष राजा-हे मातले! . जिसको-ऋषि-मुनिगण बारह महीनों के तेजस्वी बारह सूर्यों का कारण (जनक ) कहते हैं, तथा तीनों लोक के पति और यज्ञ के भाग के ईश्वर भगवान इन्द्र को भी जिसने जन्म दिया है, और संसार के कल्याण के लिए परम पुरुष ( पुरुषोत्तम विष्णु = वामन ) भी जिसके यहाँ आकर अवतीर्ण हुए हैं, तथा दक्ष और मरीचि से उत्पन्न ( दक्ष से उत्पन्न अदिति, मरीचि से उत्पन्न कश्यप), तथा ब्रह्मा जी से एक ही पीढी बाद उत्पन्न हुई, जो युगल जोड़ी संसार में प्रसिद्ध है, क्या वही जोड़ी यह दोनों है ? / ___ अर्थात्- ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष की पुत्री-अदिति, और ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि के पुत्र-कश्यपजी, इन दोनों की जो जोड़ी संसार में प्रसिद्ध है, और जिससे बारह रूप से स्थित जगद्विदित तेजस्वी बारह सूर्य उत्पन्न हुए हैं, और त्रैलोक्य के प्रभु, तथा यज्ञ के भागों के भोग करने वाले भगवान् इन्द्र भी
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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