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________________ ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मो-भाषाटीका-विराजितम् 501 बाल:-अत्तिए ! रोअदि मे चडुलके एसे मोले (-इति क्रीडनकमादत्ते)। [अत्तिके ! रोचते मे चटुलक एष मयूरः ( - इति क्रीडनकमादत्ते)] / प्रथमा-(विलोक्य साऽऽवेगम्-) अम्मो ! २रक्खाकाण्डओ से मणिबन्धे ण दीसति / [( विलोक्य सावेगम्-) अम्मो ! रक्षाकाण्डकोऽस्य मणिबन्धे न दृश्यते !] / राजा-आर्थे ! अलमावेगेन, नन्वयमस्य सिंहशावकस्य विमर्दात्परिभ्रष्टः ( -इत्यादातुमिच्छति)। जलं, तथाऽत्र नाममात्रसादृश्यं, न मे प्रिया सा स्यादिति / विषादाय = खेदाय / अपि नाम कल्पत = किस्विजायते। 'कल्पेत' इति मनोहरः पाठः प्रतिभाति / अत्तिक-हे ज्येष्ठभगिनि ! / 'अत्तिका भगिनि ज्येष्ठा' इत्यमरः / चटुलकः= मधुरमनोहरः। [ अक्षरसङ्घातक नाम भूषणं, नामसादृश्यदर्शनात् ] / रक्षाकरण्डकः = रक्षाऽर्थे बद्ध ओषधिग्रन्थिभेदः। 'करण्डो मधुकोशे स्याद्वीटिकाखड्गकोशयो:' इत्यमरः / 'रक्षाकाण्ड' इति पाठेऽपि स एवार्थः। 'काण्डः स्तम्बे, नाडीस्तम्बे' इति मेदिनी / मणिबन्धे = करमूले / सिंहशावेन = बालसिंहेन सह / विमर्दात् = कोई दूसरी स्त्री भी हो सकती है। अतः यह शकुन्तला के नाम का प्रस्ताव मृगतृष्णा में जल की भ्रान्ति की तरह मुझे कष्ट देनेवाला भी हो सकता है। बालक हे बड़ी बहिन ! यह सुन्दर मोर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है / ' [मिट्टी के बने मोर (खिलौने) को हाथ में लेता है / पहिली तापसी-भरी मैया री ! इसके हाथ में तो इसका वह रक्षायन्त्र नहीं दिखाई दे रहा है ? / ( काण्ड = गण्डा, जन्तर ) / राजा-हे आर्ये ! आप घबड़ाइए मत ! सिंह के बच्चे को पकड़ने के समय छीना-झपटी में इसके हाथ से यह नीचे गिर गया है। ( राजा भूमि पर पड़े हुए रक्षा यन्त्र को उठाना चाहता है)। १'भद्रमयूरः'। 2 'रक्षाकाण्डः' इति, रक्षाकरण्डकः' इति च पा० /
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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