________________ 500 . अभिज्ञानशाकुन्तलम्- [सप्तमोबालः--( सदृष्टिक्षेपम्-- ) कहि सा मे अम्बा ? / [(सदृष्टिक्षेपं-) कुत्र सा मेऽम्बा ?] / (उभे- प्रहसतः)। . प्रथमा–णामसारिस्सेण उवच्छन्दिदो मादिवच्छलो / [ नामसादृश्येन उपच्छन्दितो मातृवत्सलः ] / द्वितीया-'इमस्स मोरस्स रमणीअदं पेक्ख' त्ति भणिदोसि / [ 'अस्य मयूरस्य रमणीयतां प्रेक्षस्वेति भणितोऽसि ] / राजा-(स्वगतम्-) किं . 'शकुन्तले'ति-अस्य मातुराख्या ? / अथवा सन्ति पुनर्नामधेयसादृश्यानि / अपि नाम मृगतृष्णिकेव नाममात्रप्रस्तावो मे विषादाय कल्पते / शोभाम् / शकुन्तलाया वर्ण = रूपञ्चेति-प्राकृतच्छायाभेदेनार्थद्वयमिति श्लेषवक्रोक्तिः। मे = माता शकुन्तला / नामसादृश्येन = शकुन्तलेति वर्णसाम्यात् / मातृवत्सलः =मातृप्रियः / वञ्चितः-प्रतारितः। पाठान्तरे-उपच्छन्दितः = प्रलोभितः / नामधेयसादृश्यानि = नाममात्रसादृश्यं / बहुषु दृश्यते / नाममात्रप्रस्तावः = नाममात्रप्रसङ्गः। नाममात्रोच्चारणं / यथा-मृगतृष्णिकायां जलभ्रान्तिर्न वस्तुतो बालक-(इधर-उधर देखता हुआ) यहाँ मेरी माता शकुन्तला कहाँ है / ( इस बालक ने 'शकुन्तला के रूप को देख' यह दूसरा ही अर्थ समझा है, अतएव वह कह रहा है-मेरी माता कहाँ है?)। [दोनों तापसी-हंसती है। पहली तापसी-नाम के सादृश्य से ही यह बेचारा बालक इस प्रकार ठगा गया, और अपनी माता को देखने के लिए उत्सुक (-लोभाकान्त) हो गया। दूसरी तापसी-अरे ! मैंने तो कहा है-इस शकुन्त = मयूर (मोर) पक्षी का-लावण्य ( सौन्दर्य ) देख / राजा-(मन ही मन ) क्या इसकी माता का भी नाम 'शकुन्तला' है ?! अथवा-नाम में तो समानता बहुत जगह देखी जाती है / शकुन्तला नामवाली 1 'कल्पेत'-पा।