SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 408
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 404 अभिज्ञानशाकुन्तलम्- [षष्ठोराजा-वयस्य ! कः पतिव्रतां तामन्यः परामष्टुंमुत्सहते / 'मेनका किल सख्यास्ते जन्मप्रतिष्ठेति तत्सखीजनादस्मि श्रुतवान् / तत्सहचरीभिस्तया वा 'हृतेति हृदयमाशङ्कते। सानुमती-सम्मोहे वि विह्मअणीओ वखु इमस्स पडिबोधो ! / [संमोहेऽपि विस्मयनीयः खल्वस्य प्रतिबोधः] / विदषक:-भो ! जइ इन्वं, ता समस्ससः भवं / अस्थि क्खु समागमो कालेण तत्थभोदिए / [भो! यद्येवं, तत्समाश्वसितु भवान् / अस्ति खलु समागमः कालेन तत्रभवत्याः / / मान्या शकुन्तला / आकाशसञ्चारिणा = गगनचारिणा केनापहृतेति मे विचारो भवतीत्याशयः। परामष्टुं = स्प्रष्टुमपि / कोऽन्य उत्सहते = कोऽन्यः शक्नोति / जन्मप्रतिष्ठा = उद्भवस्थानं / मातेत्यर्थः। तत्सहचरीभिः = मेनकासखीभिः सानुमत्यादिभिः / तया वा = मेनकयैव वा / संमोहे = स्मृतिविभ्रमेऽपि / प्रतिबोधः = विचारशक्तिः। चैतन्यं / प्रतिभा / आश्चर्यजनकोऽस्य बुद्धिप्रसर इति भावः / शकुन्तलाजी को इस प्रकार अकस्मात् कौन आकाशचारी उठा कर ले गया ? / राजा हे मित्र ! उस पतिव्रता को और दूसरा कौन छू सकता है / किन्तु 'मेनका अप्सरा से यह उत्पन्न हुई है' यह बात उसकी सखियों से मैंने सुनी थी / अतः या तो उसे मेनका की कोई सहचरी अप्सरा ही उठा ले गई है, या वह मेनका ही स्वयं उसे इस प्रकार ले गई है-यही मेरे हृदय में शङ्का होती है। क्योंकि और कोई ( राक्षस आदि ) तो उस पतिव्रता को स्पर्श भी नहीं कर सकता है। सानुमती-वाह ! इस प्रकार मोह की दशा में भी इसका ऐसा ज्ञान तो बड़ा ही विस्मयजनक है / ( अर्थात् - शकुन्तला को उसकी माता मेनका ही वहाँ से उठाकर ले गई थी। और इस बात को राजा ने अपनी कुशाग्रबुद्धि से जान लिया–अतः इसकी बुद्धि की प्रशंसा सानुमती कर रही है ) / विदूषक हे मित्र ! यदि ऐसी बात है, तो फिर आप धैर्य धरिए। कुछ काल के बाद उसके साथ आपका समागम अवश्य ही होगा। 1 'नीतेति' / 2 'संमोहः खलु विस्मयनीयो, न प्रतिबोधः' पा० /
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy