SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 180 अभिज्ञान-शाकुन्तलम् [तृतीयोअपि च अयं स यस्मात्प्रणयावधीरणा __मशङ्कनीयां करभोरु ! शङ्कसे / उपस्थितस्त्वां प्रणयोत्सुको जनो, न रत्नमन्विष्यति, मृग्यते हि तत् // 17 // लक्ष्म्या तु / ईप्सितः = प्रार्थयिता। कथं दुगपः 1 = कथं न सुलभः 1 / श्रियाः प्रार्थयिता जनः कदाचित्तां लभते, न वा लभते इति तु युक्तं, किन्तु लक्ष्म्याः किं प्रार्थयितारो दुर्लभाः 1 / एवञ्च भवत्याः प्रार्थनां विहातुं नाहं समर्थ इत्याशयः / [सामान्येन विशेषसमर्थनादर्थान्तरन्यासः / 'वंशस्थं वृत्तं'.] // 16 // अयमिति / 'मणिबन्धादाकनिष्ठं करस्य करभो बहि'रित्यमरात्-करभः = कनिष्ठिकाप्रान्तभागः / तौ करभाविवोरू यस्याः सा करभोरूः / तत्सम्बुद्धौ-हे ! करभोरु != करिकरोपमोरु ! यस्मात् = यस्माजनात् / अशङ्कनीयां = शङ्किलमप्ययोग्यां / प्रणयस्यावधीरणां-प्रणयावधीरणां = स्नेहप्रार्थनामङ्गम् / शङ्कसे = त्वमाशङ्कसे / सोऽयं जनः = दुष्यन्तलक्षणोऽयं जनः / अंहं / प्रणये उत्सुक:-प्रणयोत्सुकः = त्वत्स्नेहोत्कण्ठितः सन् / त्वां-स्वयमेव प्रार्थयितुम् / उपस्थितः =3 लालयित हो रहा हूँ। प्रार्थी ( याचक ) तो लक्ष्मी ( धन-सम्पत्ति ) की प्रार्थना करने पर भी कहीं से लक्ष्मी को कदाचित् पा सके, या नहीं भी पा सके, परन्तु लक्ष्मी के लिए तो प्रार्थी ( लक्ष्मी को चाहनेवाले याचक ) क्या कभी दुर्लभ होता है ? / नहीं। अर्थात्-लक्ष्मी तो किसी को प्रार्थना करने पर भी मिले या नहीं भी मिले यह तो सम्भव भी है, पर स्वयं लक्ष्मी यदि किसी के पास जाना चाहे, तो उसे कौन नहीं चाहेगा ? / अतः तुम स्वयं ही यदि मेरे को चाह रही हो, तो मैं तुम्हारी प्रार्थना को कैसे अस्वीकार कर सकता हूँ? // 16 // ___ और भी-हे करभोरु = गजनासोरु ! जिससे ( मुझसे ) तुम प्रार्थना की अस्वीकृति की अनुचित आशङ्का कर रही हो, वह जन (मैं) तो तुम्हारे स्नेह के लिए उत्सुक हो, तुम्हें खोजता 2 स्वयं ही तुम्हारे पास उपस्थित है ! / क्योंकि
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy