________________ (50) 'कोना चैत्य तो के कसाइ, वाघरी, मांछला पकड़नार, महाकर कर्मों करनार, इत्यादि घणा मलेच्छ जातिते सर्वे यवन लोक देवल प्रतिमा वास्ते जीवों ने हणे ते आश्रय द्वार छ। और इसी पृष्ठ पंक्ति 1 में-- __ 'ते ठेकाणे आश्रव द्वार मां तो मलेच्छोंना चैत्य 'मसिदो' ने गणावेल छे ___ इससे भी चैत्य शब्द का अन्य मंदिर और मस्ज़िद अर्थ सिद्ध हुआ। अब बुद्धिमान स्वयं विचार करें कि कहां तो केवल मनःकल्पित दो और तीन ही अर्थ मानकर बाकी के लिए शून्य ठोक देना, और कहां इन्हीं के मतानुयाइयों के माने हुए अन्य अर्थ और टीकाकारों तथा सूत्रकारों के अर्थ जो ऊपर बताये गये हैं, क्या अब भी हठधर्मीपने में कोई कसर है? कुछ जैनेतर विद्वानों के अर्थ भी देखिये-- (क) शब्द स्तोम महानिधि कोष में ग्रामादि प्रसिद्ध महावृक्ष, देवावासे जनानां, सभास्थ. तरो, बुद्ध भेदे, पायतने, चिता चिन्हे, जनसभायां, यज्ञस्थाने, जनानां विश्राम स्थाने, देवस्थानेच, / (ख) हिंदी शब्दार्थ पारिजात (कोष) में- (पृष्ठ 252) देवायतन, मसजिद, गिर्जा, चिता गामका पूज्यवृत्त मकान, यज्ञशाला, बिलीवृक्ष, बौद्ध सन्यासी, बौद्धों का मठ।