________________ (34) अंबड़-श्रावक (सन्यासी) प्रश्न- अंबड़ श्रावक ने जिन प्रतिमा वांदी ऐसा स्पष्ट कथन औपयातिक सूत्र में है, यह तो आपको मान्य है न ? उत्तर-उक्त कथन भी अानन्द श्रावक के अधिकार की तरह निस्सार है, यहां भी आप प्रसंग को छोड़ कर ही इधर उधर भटकते हैं, क्योंकि अंबड़ परिव्राजक ने निम्न प्रकार से प्रतिज्ञा की है___णोकप्पड अण्णउत्थिएवा, अण्णउत्थिय देवयाणिवा, अण्णउत्थिय परिग्गहियाणि अरिहंत चेइयाणिवा, वंदित्तएवा, णमंसित्तएवा, जा. वपज्जुवासित्तएवा, पणत्थ अरिहंतेवा, अरिहंत. चेइयाणिवा, वंदित्तएवा, मंसित्तएवा, नोट-यह पाठ जो यहां दिया गया है सो केवल गुजराती प्रति से ही, और गुजराती प्रति में भी किसी अन्य प्रति से दिया गया होगा। किन्तु अभी आगमोदय समिति की प्रति का अवलोकन किया तो उसमें. अकल्पनीय प्रतिक्षा में