________________ P-"सूर्याभ देव"। प्रश्न-सूर्याभदेव ने जिन प्रतिमा की पूजा की ऐसा राजप्रश्नीय सूत्र में लिखा है, इससे मूर्ति पूजा करना सिद्ध होता है, फिर श्राप क्यों नहीं मानते ? उत्तर-सूर्याभदेव के चरित्र की अोट लेकर मूर्ति पूजा में धर्म बताना मिथ्या है। सूर्याभ की मूर्ति पूजा से तीर्थंकर की मूर्ति पूजा करना ऐसा सिद्ध नहीं हो सकता, क्योंकि-- तत्काल के उत्पन्न हुए सूर्याभदेव ने अपने सामानिक देव के कहने से परंपरा से चले आते हुए जीताचार का पालन किया है / और जिन प्रतिमा के साथ 2 नाग, भूत प्रतिमा ओ कि-उससे हल्की जाति के देवों की है उनकी और अन्य जड़ पदार्थ-द्वार, शाखा, तोरण, बावड़ी नागदन्ता आदि की पूजा की है, सूर्याभ को उस समय जीताचार के अनुसार वैसे भी काम करने थे जो उससे पहले वहां उत्पन्न होने वाले सभी देवों ने किये थे उसका यह कार्य धर्म बुद्धि से नहीं था।