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________________ भूमिका जिस प्रकार सृष्टि सौन्दर्य में प्रार्यावर्त की शोभा अत्यधिक है, उसी प्रकार धार्मिक दृष्टि से भी यह देव भूमि तुल्य माना गया है / ऐतिहासिक क्षेत्र में भारत मुख्य रहा है और दूसरे देशों के लिये अनुकरणीय दृष्टान्त रूप है। धार्मिक दृष्टि से तो भारतवर्ष कैलास के समान इस अवनी पर सुशोभित रहा है / इतना ही नहीं सर्व धर्म व्यापक सिद्धान्त "अहिंसा परमोधर्मः' का पालन भी आर्यावर्त में ही बहुत काल से प्रचलित है। सभी धर्म वालों ने अहिंसा को महत्व दिया है। जैन धर्म का तो सर्वस्व अहिंसा धर्म ही है, और इसके लिये जितना भी हो सका प्रचार किया है। जिससे भारत के पुण्यशाली राजाओं ने अपने राज्य शासन में अहिंसा को जीवन मुक्ति का साधन मान कर प्रथम पद दिया है। * जब जब अहिंसा का महत्व घटकर हिंसा का प्राबल्य हुआ है तब तब किसी न किसी महान आत्मा का जन्म होता है, वे महात्मा विकार जन्य-हिंसा जनक-प्रवृत्तियों का विरोध कर नई रोशनी, नया उत्साह पैदा करते हैं। जिस समय वैदिक धर्मावलम्बियों ने हिंसा को अधिक महत्व दिया था, धर्म के नाम पर यज्ञ, याग द्वारा गौ, घोड़े तथा मनुष्य तक को भी अग्नि देव के स्वाधीन करने लगे थे, उस
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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