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________________ (17) हिंदी संस्करण के विषय में लेखक का किंचित् निवेदन प्रस्तुत पुस्तक का गुजराती संस्करण प्रकाशित होने के थोड़े दिन बाद ही कई मित्रों की ओर से हिंदी संस्करण प्रकाशित कर देने की सूचनाएं मिली। यद्यपि मेरी इच्छा इस पुस्तक के हिंदी संस्करण प्रका. शित करने की नहीं थी, क्योंकि मैं चाहता था कि--मू० पू० श्री ज्ञानसुन्दरजी के मूर्तिपूजा के प्राचीन इतिहास में मूर्तिपूजा को लेकर हम पर जो अाक्रमण हुए हैं, उसी के उत्तर में एक ग्रन्थ निर्माण किया जाय, जिससे इस पुस्तक के हिंदी संस्करण की आवश्यकता ही नहीं रहे, किन्तु मित्रों के अत्याग्रह और उस ग्रन्थ के प्रकाशन में अनियमित विल. म्ब होने के कारण इस पुस्तक का हिंदी संस्करण प्रकाशित किया जारहा है। सर्व प्रथम मैंने "लोकाशाह मत-समर्थन" हिंदी में ही लिखा था, उसका गुजराती अनुवाद "स्थानकवासी जैन" के विद्वान तन्त्री श्रीमान् जीवणलाल भाई ने किया था, किन्तु असल हिंदी कॉपी वापिस मंगवाने पर बुक पोष्ट से भेजने से मुझे प्राप्त नहीं हो सकी, इसलिए गुजराती संस्करण पर से ही पुनः हिंदी अनुवाद किया गया।
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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