________________ ३६-क्या ३२मूल सूत्र बाहर का साहित्य मान्य है ? प्रश्न-आप बत्तीस मूल सूत्र के सिवा अन्य सूत्र ग्रंथ तथा उन सूत्रों की टीका, नियुक्ति,चूर्णि,भाष्य दीपिका प्रादि को क्यों नहीं मानते ? नन्दीसूत्र जो कि 32 में ही है उसमें अन्य सूत्रों के भी नामोल्लेख है, फिर ऐसे सूत्र को क्या मूर्ति पूजा का अधिकार होने से ही तो आप नहीं मानते उत्तर-जो शास्त्र, ग्रंथ, या टीकादि साहित्य वीत. राग प्ररूपित द्वादशांगी वाणी के अनुकूल है वही हमारा मान्य है, हमारी श्रद्धानुसार एकादशांग और अन्य 21 सूत्र ऐसे 32 सूत्र ही पूर्ण रूप से वीतराग वचनों से प्रशधित है इसके सिवाय के साहित्य में बाधक अश भी प्रविष्ट हो गया है तथा उपस्थित है, अतएव उनको पूर्ण रूप से मानने को हम तय्यार नहीं हैं / 32 सूत्रों के बाहर भी जो साहित्य है