________________ डाक्टर बनना नहीं मानते हैं, किन्तु परोपकारी डाक्टर की पंक्ति में बैठने का डोल करने वाले ये पूजक बन्धु तो बल पूर्वक हत्या करते हुए भी अपने को उस हत्यारे की तरह निर्दोष और उससे भी आगे बढ़कर परोपकारी बतलाते हैं, मला यह भी कोई परोपकार है ? इसमें परोपकार उनजीवों का हित कैसे हुप्रा ? हां नाश तो अवश्य हुश्रा। डाक्टरों को तोचिकित्साप्रारम्भ करने के पूर्व प्रमाण पत्र प्राप्त करना पड़ता है, किन्तु हमारे पूजक बन्धु तो स्वतः ही डाक्टर बन जाते हैं, इन्हें किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता ही नहीं, गुरू कृपा से इनके काम बिना प्रमाण के भी चल सकता है, किन्तु इन्हें याद रखना चाहिये कि इस प्रकार अज्ञानता पूर्वक धर्म के नाम पर किये जाने वाले व्यर्थ प्रा. रंभ का फल अवश्य दुख दायक होगा वहां आपका यह मिथ्या उदाहरण कभी रक्षा नहीं कर सकेगा / अतएव पूजा के लिये होती हुई हिंसा में डाक्टर का उदाहरण एक दम निरर्थक है। यहां तो इसका उल्टा उदाहरण ही ठीक बैठता है।