________________ ( 140 ) और गिरफ्तार होने पर कहे कि-मैंने तो उसको रोग मुक्त करने के लिए शस्त्र मारा था, तो ऐसी हास्यजनक बात पर न्यायाधीश ध्यान नहीं देते हुए उसे हत्यारा ठहरा कर या तो प्राण दण्ड देगा या कठिन कारावास दण्ड, जो कि उसे भोगना ही पड़ेगा। हमारे मूर्ति पूजक बंधु पूजा के बहाने बेचारे निरपराध प्राणियों को मार कर उक्त परोपकारी और विश्वासपात्र डाक्टर की श्रेणि में बैठने की इच्छा रखते हैं, यह किस प्रकार उचित हो सकता है ? वास्तव में इनके लिए (डाक्टरनहीं) किन्तु अन्तिम श्रेणी के खुनी का उदाहरण ही सर्वथा उपयुक्त है। क्योंकि-जो पृथ्वी, पानी, बनस्पति आदि स्थावर और त्रस काया के जीव अपने जीवन में ही प्रानन्द मानकर मरण दुःख से ही डरते हैं, सभी दीर्घ जीवन की इच्छा करते हैं, ऐसे उन जीवों को उनकी इच्छा के विरूद्ध प्राण हरण करलेने वाले हत्यारे की श्रेणी से कम कभी नहीं हो सकते / रोगी की तरह वे प्राणी इन पूजक बन्धुओं के पास प्रार्थना करने नहीं आते कि महात्मन् हमारा जीवन नष्ट कर हमारे शरीर की बलि श्राप अपने माने हुए भगवान को चढ़ाइये और हमपर उपकार कर हमें मुक्ति दीजिये। किन्तु पूजक महाशय स्वेच्छा से ही भ्रम में पड़कर उनका हरा भरा जीवन नष्ट कर उन्हें मृत्यु के घाट उतार देते हैं। इसलिये ये डाक्टर की श्रेणी के योग्य नहीं। इन जीवों को अपने भोग विलास के लिये कष्ट पहुंचाने वाले भोगी लोग संसार में बहुत हैं, लेकिन वे भी इनकी हिंसा करके उसमें उन जीवों का उपकार होना तथा स्वयं