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________________ ३०-समवसरण और मूर्ति प्रश्न-तीर्थकर समवसरण में बैठते हैं तब अन्य दिशाओं में उनकी तीन मूर्तियों में देवता रखते हैं उन मूर्तियों को लोग वन्दना नमस्कार करते हैं. इस हेतु से तोमूर्ति पूजा सिद्ध हुई? उत्तर-उक्त कथन भी पागम प्रमाण रहित और मिथ्या है। भगवान समवसरण में चतुर्मुख दिखाई देते हैं ऐसा जो कहा जाता है उसका खास कारण तो भामण्डल का प्रकाश ही पाया जाता है / हेमचन्द्राचार्य ने योगशास्त्र के नववे प्रकाश के प्रथम श्लोक में स्वयं प्रभुको ही चतुर्मुखस्य' लिख कर चार मुंह वाले कहे हैं किन्तु चार मूर्तिये नहीं कही। ___ आज भी कितने ही मन्दिरों में एक मूर्ति के आस पास ऐसे ढंग से शीशे ( कांच ) रखे हुए देखे जाते हैं कि जिस से एक ही मूर्ति पृथक 2 चार पांच की संख्या में दिखाई दे। कई जगह महलों में ऐसे कमरे देखे गये कि जिसमें जाने से
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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