________________ ( 114 ) बहुमान और पुष्कल द्रव्य व्यय कर की जायगी उसमें जो बहुमान होगा वह उस शव का ही नहीं किन्तु उस शव का कुछ समय पूर्व जो एक उच्च प्रात्मा से सम्बन्ध रहा था, उस आत्मा के ही बहुमान के कारण शरीर से उसके निकल जाने पर भी शव का मान होता है, बस इसी प्रकार हम भी हमारे गुरू के मृत शरीर की अंतिमक्रिया करते हैं। और यही मान्यता रखते हैं कि यह क्रिया व्यवहारिक है किन्तु धार्मिक नहीं। अतएव व्यवहारिक और श्रावश्यक क्रिया का धार्मिक विषय में जोड़ देना अनुचित है, इस प्रकार द्रव्य निक्षेप वन्दनीय नहीं हो सकता।