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________________ २८-साधु के शव का बहुमान प्रश्न-मृतक साधु के शव की अंतिमक्रियाश्राप बहुमान पूर्वक करते हैं उसमें धन भी खूब खर्च करते हैं तो भी क्या यह द्रव्य निक्षेप को वन्दन नहीं हुआ? उत्तर-साधु के शक की अंतिमक्रिया जो हम करते हैं यह धर्म समझ कर नहीं किन्तु अपना कर्तव्य समझ कर करते हैं, शव की अंतिमक्रिया करनाअनिवार्य है, नहीं करने से कई प्रकार के अनर्थ होने कि सम्भावना है। अतएव यह क्रिया आवश्यक और अनिवार्य होने से की जाती है इसमें धर्म का कोई सम्बन्ध नहीं है। . इसके सिवाय जो बहुमान किया जाता है वह शव का नहीं पर शव होने के पूर्व शरीर में रहने वाले संयमी गुरू की आत्मा का है, और यह क्रिया केवल व्यवहारिक कर्तव्य का पालन करने के लिये ही होती है। संसार में भी जो व्यक्ति अधिक जन प्रिय, पूज्य या मान्य होगा, बहुतों का नेता होगा उसके मरने पर उसके शव की अंतिमक्रिया भी
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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