________________ (101) (क) कोई बुनकर कपड़ा बुनने को यदि सूत लाया है उस सूत से वह कपड़ा वनावेगा, वमान में वह कपड़ा नहीं पर सूत ही है। फिर भी वह बुनकर यदि सूत को ही कपड़े के मुल्य में बेचना चाहे या खरीदने वाले से उस सूत को देकर वस्त्र का मूल्य लेना चाहे तो उसे निराश होना पड़ता है। क्यों कि वह वर्तमान में सूत है उनसे वस्त्र के दाम नहीं मिल रूकते। इसी प्रकार भविष्य में उत्पन्न होने वाले गुण को लक्ष्य कर वर्तमान में उन उत्तम गुणों से रहित व्यक्ति को वैसा मान नहीं दिया जा सकता। (ख) कोई शिल्प-कार मूर्ति बनाने के लिए एक पाषाण खण्ड लाया है उस पाषाण की वह मूर्ति बनावेगा उस पर काम भी करने लग गया है किन्तु अभी तक मूर्ति पूर्ण रूप से वनी नहीं है, इतने में ही कोई मूर्ति-पूजक आकर उससे मूर्ति माँगे, तब वह शिल्पकार यदि कहदे कि-यह अपूर्ण मूर्ति ही ले लो तो क्या वह मूर्ति पूजक उस अपूर्ण मूर्ति को पूरे दाम देकर खरीदेगा? नहीं यद्यपि वह भविष्य में पूर्ण रूप से ठीक बन जायगी पर वर्तमान में अपूर्ण है, इस लिए व्यवहार में भी उसका पूरा मूल्य नहीं मिल सकता, तो धर्म कार्य में द्रव्य निक्षेप वन्दनीय पूजनीय कैसे हो सकता है ? (ग) एक गाय की छोटी सी बछिया है, जो भविष्य में गाय बन कर दूध देगी, किंतु हमारे मूर्ति पूजक प्रश्नकार के मतानुसार उत्त बछिया से ही जो कोई दूध प्राप्त करने की इच्छा से किया करे, तो उस जैसा मूर्ख शिरोमणि संसार में और कौन हो सकता है। जब छोटी बछिया यद्यपि गाय के द्रव्य निक्षेप में है किन्तु वतमान में दूध देने रूप भाव निक्षेप की कार्य साधक नहीं होती तब गुण शून्य द्रव्य निक्षेप वंदनीय पूजनीय किस प्रकार माना जा सकता है।