________________ ३३-मरीचि वंदन प्रश्न-त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित्र में लिखा है कि प्रथम जिनेश्वर ने जब यह कहाकि-"मरीचि इसी अवसर्पिणी काल में अंतिम तीर्थंकर होगा" यह सुनकर भरतेश्वर ने उसके पास जाकर उसे वन्दना नमस्कार किया, इलसे तो आपको भी द्रव्य निक्षेप वंदनीय स्वीकार करना पड़ेगा, क्या इसमें भी कोई बाधा है ? उत्तर-हां, यह मरीचि वन्दन का कथन भी आगमप्रमाण रहित और अन्य प्रमाणों से बाधित होने से अमान्य है। ___ आश्चर्य की बात तो यह है कि यह "त्रिशष्टिशलाका पुरुष चरित्र 'जो कि श्री हेमचन्द्राचार्य का बनाया हुआ है आगम की तरह मान्य कैसे हो सकता है ? जबकि इसके रच. यिता में सिवाय मति, श्रुति के कोई भी विशिष्ठ ज्ञान नहीं था तो उन्होंने तीसरे पारे की बात पंचम आरे के एक हजार से भी अधिक वर्ष बीत जाने पर कैसे जानली ? यहां हम विषयास्तर के भय से अधिक नहीं लिखकर "त्रिशष्ठिशलाका पुरुष चरित्र " की समालोचना एक स्वतंत्र ग्रंथ के लिए छोड़