________________ १४-द्रव्य-निक्षेप प्रश्न-द्रव्य निक्षेप को तो आप अवन्दनीय नहीं कह सकते क्योंकि-"तीर्थंकरके जन्म समय शकेन्द्रादि जन्मोत्सव करते हैं, और निर्वाण पश्चात् शव का अग्नि संस्कार करते हैं, उस समय तीर्थंकर द्रव्य निक्षेप में होते हैं और देवेन्द्र उनको वन्दन करते हैं ऐसी हालत में द्रव्य निक्षेप अवन्दनीय कैसे कहा जाता है? उत्तर-स्थापना की तरह द्रव्य निक्षेप भी वंदनीय नहीं है, क्योंकि वह भाव शून्य है,जन्मोत्सव क्रिया शक्रन्द्रादि अपने जीताचारानुसार करते हैं और इसी प्रकार अग्नि संस्कार भी जीताचार के साथ साथ यह क्रिया अत्यंत आवश्यक है, इस जीताचार के कारण ही तो तीर्थंकर के मुंह की अमुक ओर की अमुक दादा अमुक इन्द्र ही लेता है, यह सब क्रिया पद के अनुसार जीताचार की है / फिर उस समय की जाने वाली स्नान मादि क्रियामों को धार्मिक क्रिया कैसे कह सकते है? यदि इन क्रियाओं को धार्मिक क्रिया मानी जाय तो फिर भावनिक्षेप ( साक्षात् ) के साथ ये क्रियाएं क्यों नहीं की जाती है ?