________________ २३-वन्दन आवश्यक और स्थापना प्रश्न-पडावश्यक में तीसरा वन्दन नामका आवश्यक है, यह वन्दनावश्यक गुरु की अनुपस्थिति में बिना “स्थापना" के किसके सन्मुख करते हो? वहां तो स्थापना रखना ही चाहिए अन्यथा यह आवश्यक अपूर्ण ही रह जाता है। आप के पास इसका क्या उत्तर है ? . उत्तर--तीसरा आवश्यक गुरु वन्दन-गुरु का विनय और उनके प्रति विपरीताचरण रूप लगे हुए दोषों की मालोचना करने का है, यह जहां तक गुरु उपस्थित रहते हैं वहां तक उनके सन्मुख उनकी सेवा में किया जाता है, किन्तु अनुपस्थिति में गुरु का ध्यान कर उनके चरणों को लक्ष्य कर यह क्रिया की जाती है इसमें स्थापना की कोई आवश्यकता नहीं रहती। __ तीसरे आवश्यक में बताई हुई ये बातें क्या स्थापना से पूछी जाती हैं कि-अहो क्षमा श्रमण ? आपके शरीर को मेरे वन्दन करने-चरण स्पर्शने-से कष्ट तो नहीं हुआ ? मुझे धार्मिक क्रिया करने की आज्ञा दीजिए, अहोपूज्य ? क्षमा करिये, आपकी संयम यात्रा और इन्द्रिय मन बाधारहित हैं ? आदि बातें क्या