________________ .. श्रीमान् रतनलाल दोशी सैलाना वाला शास्त्रीय पद्धतिए स्थानकवासी समाजनी जे पूर्व सेवा बजावी रहेल छे, ते अति प्रशंसनीय छ, अने एना माटे मारा अन्तःकरणना अभिनन्दन छ। घणां वर्षो पहेला प्रसिद्ध वक्ता श्रीमान् चारित्रविजयजी महागजे मांगरोल बंदरे जनसमूह वच्चे व्याख्यान करतां कहेलु के श्वेताम्बर जैन समाजना बे विभाग स्थानकवासी भने देरावासी 100 मा 18 बाबतोमा एक छे, मात्र बे बाबतो मांजःविचार मेद छे तो 68 बाबत ने गौण बनावी मात्र बे बाबतो माटे लडी मरे छे ते खरेखर मुर्खाई .छे, तेमनुं श्रा कहे, हाल वधारे चरितार्थ थतुं होय तेम जोवाय छे। टुंकामां श्रीयुत रतनलाल दोशीने तेमनी स्थानकवासी समाजनी, अप्रतिम सेवा माटे फरीवार अभिनन्दन प्रापी पोते श्रादरेल सेवा यक्ष ने सफल करवा, तेमां श्रावता विघ्नोथी न डरवा सूचना करी स्थानकवासी समाजना मुनिवर्ग अने श्रावक वर्गने श्राग्रह भरी विनन्ती करुं र्छ के-श्री रतनलाल दोशी ने बनती सेवा कार्यमां सहाय करवी, अने वधु नहीं तो छेवट स्थानकवासी जैनधर्मनी अभिवर्धा अर्थे तेनी सत्यता अर्थे तेमना तरफथी जे जे साहित्य प्रकट थाय तेनो वधुमां वधु फेलावो करवों, एक पण गाम एवं न होवू जोइए के ज्यां ए दोशीनां लखेल साहित्यनी 2-5 नकलो न होय / हिंदीमा होय तो तेनो गुजरातीमां अनुवाद करीने तेनो प्रचार करवो। . श्री रतनलाल दोशी ने तेमना समाज सेवानां कार्यमां साधन, संयोग, समय, शक्ति ए सर्वनी पूरनी अनुकूलता मले एवी श्रा अन्तरनी अभिलाषा छ / ॐ शान्ति !