________________ १९--स्त्री-चित्र और साधु प्रश्न-जैसे स्त्री चित्र देखने से काम जागृतहोता है और इसी से ऐसे चित्रमय मकान में साधु को उतरने की मनाई की गई है, वैसे प्रभु चित्र या मूर्ति से भी वैराग्य प्राप्त होता है, फिर आप मूर्ति पूजा क्यों नहीं मानते ? उत्तर-स्त्री चित्र से काम जागृत हो उसी प्रकार प्रभु मूर्ति से वैराग्य उत्पन्न होने का कहना यह भी असंगत है। क्योंकि-स्त्री चित्र से विकार उत्पन्न होना तो स्वतः सिद्ध और प्रत्यक्ष है। सुन्दरी युवती का चित्र देखकर मोहित होने वाले तो प्रति शत 8 निन्याणवे मिलेंगे, वैसे ही साक्षात् सुन्दरी को देखकर भी मोहित होने वाले बहुत से मिल जायँगे। किन्तु साक्षात् त्यागी वीतरागी प्रभु-या मुनि महात्मा को देखकर वैराग्य पाने वाले कितने मिलेंगे ? क्या प्रतिशत एक भी मिल सकेगा? . संसार में जितनी राग भाव की प्रचुरता है उसके लक्षांश में भी वीतराग भाव नहीं है, और इसका खास कारण यह है कि-जीव अनादि काल से मोहनीय कर्म में रंगा हुआ है, संसार