________________ १३–'नामस्मरण और मूर्ति-पूजा' प्रश्न--जिस प्रकार श्राप नामस्मरण करते हैं उसी प्रकार हम मूर्ति-पूजा करते हैं, यदि मूर्ति पूजा से लाभ नहीं तो नामस्मरण से क्या लाभ ? जैसे "मूर्ति मण्डन प्रश्नोत्तर" पृ० 57 पर लिखा है कि- . "जेम कोई पुरुष हे गाय दूध दे, एम केवल मुखे थी उच्चारण करे तो तेने दूध मले के नहीं ? तमे कहेशो के नहीं, त्यारे परमेश्वर ना नाम थी के जाप थोपण काई कार्य सिद्ध नहीं थाय तो पछी तमारे परमात्मा नुं नाम पण न लेवु जोइए। इसका क्या समाधान है ? उत्तर-यह तो प्रश्नकर्ता की कुतर्क है और ऐसी ही कुतर्फ श्रीमान् लब्धिमूरिजी ने भी की थी जो कि "जैन सत्य प्रकाश में प्रकट हो चुकी है, इन महानुभावों को यह भी मालूम नहीं कि-'कोई भी समझदार मनुष्य खाली तोता