________________ (241) 31 श्रीअभिधानचिन्तामणिकोष (दूसरा भाग )-उपर्युक्त कोष के शब्दों की यह अकारादि क्रम से अनुक्रमणिका है, इसकी प्रस्तावना में श्री हेमचन्द्राचार्य का थोडा परिचय भी दिया है। हैमकोष की किसी भी आवृत्ति के लिये यह अनुक्रमणिका काम आसकती है, पृष्ट 351 सजिल्द मू० 3-0-0 - नाटक। 32 मुद्रित कुमुदचन्द्रप्रकरण-गुजरात के बारहवीं शताब्दी के सम्राट् सिद्धराज़ जयसिंह की राज्यपभा में प्रकाण्ड दिगम्बरवादि श्री कुमुदचंद्राचार्य को स्त्रीमुक्ति के शास्त्रार्थ में श्री वादीन्द्र वादिदेवसूरिजीने हराये थे। उसी विषय और उसी प्रसंग को लेकर कवि यशश्चन्द्रने यह प्रकरण ( नाटक का एक भेद ) बनाया है. इस में ऐतिहासिक पात्र बहुत हैं, भाषा अच्छी है। मूल्य 0-8-0 छन्दः / 33 छन्दोऽनुशासन ( सटीक )--श्री हेमचन्द्राचार्यकृत यह ग्रन्थ सूत्रबद्ध कविता प्रिय पंडितों को बहुत उपयोगी है . इसके आठ अध्याय सूत्रबद्ध हैं / उन्हीं आचार्यवर्यने इसके 16 .