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________________ (240) 28 पंचाख्यानवार्तिक-जर्मनी में छपा हुआ है। मूल्यः रु. 3-12-0 29 शृङ्गारवैराग्यतरंगिणी-इसके श्लोकों में स्त्रीके मुख केशादि का वर्णन कर उसको वैराग्य में घटाया है। पं० शिवदत्त कविरत्नने इसके बहुत वाक्य लेकर अलग श्लोक बनाये हैं। भेट कोष 30 सटीक अभिधानचिन्तामणि ( हैमकोष)-व्याकरण न्याय-कोषादि सेंकडों ग्रन्थोंके रचयिता श्रीमान् हेमचन्द्राचाय का बनाया हुआ यह कोष जगभर में विख्यात है। रघुवंशादि पांच काव्यों की, सिद्धान्तकौमुदी, काव्यप्रकाश, कादम्बरी प्रभृति सेंकडों व्याकरणादि ग्रन्थों की टीकाओं में इस कोष के कई प्रमाण ‘इति हैम' नाम से आते हैं। अमरकोष, मेदिनी प्रभृतिकोषों में जो शब्द नहीं मिलते वे इसमें मिल सक्ते हैं। यह कोष की उन्हीं हेमचन्द्राचार्य की बनाई हुई व्याकरण के सूत्रोल्लेख्न पूर्वक स्वोपज्ञ सुंदर और सरल वृत्ति हमने पहिले पहल ही छपवाई है। कवि वैयाकरण और संशोधको के लिए यह कोष बहुत कामका है, जल्दी मंगवाइये / 1620 सनिल्द मूल्य 4-0-0.
SR No.004480
Book TitleSiddhantratnikakhyam Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay, Vidyavijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1929
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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