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________________ ( 236 ) काव्य और चरित्र 14 श्रीनेमिनाथमहाकाव्य (पद्यबद्ध-सटिप्पण)- काव्य के प्राथमिक अभ्यासियों के लिये यह अन्य बहुत ही उपयोगी है। तुलना की दृष्टि से कहें तो रघुवंश की शैली का, बल्की कोई 2 नगह उससे भी अच्छा है। इसमें प्रभात और राजीमती के विरह प्रभृति का वर्णन बहुत ही अच्छा करके श्रीकीर्तिराजोपाध्यायनीने कालिदास की कीर्ति के साथ स्पर्धा की है। भिन्न 2 छन्दः, अलङ्कार और भावों से पूर्ण द्वादश सर्गात्मक यह ग्रन्थ पुस्तकाकार और पत्राकार में छपा है। दोनों में से प्रत्येक का मूल्य 0-12-0 , 25 श्रीज्ञान्तिनाथचरित्र (श्लोकबद्ध महाकाव्य)-काव्य निष्णात श्रीमुनिभद्रसूरि महाराजने इस अत्युत्तम ग्रन्थ को बनाकर कवि समाज को चमत्कृत कर दिया है। इसमें इन्द्रवज्रा, वसन्ततिलका, शिखरिणी प्रभृति बड़े बड़े च्छन्दों में 19 सर्ग हैं। सारे ग्रन्थ में अलंकार की . छटा एवं वर्णन का चमत्कार है। हमारी दृष्टि से माघकाव्य की कोटी का यह काव्य है, इसमें करीब 5000 श्लोक हैं. भाषा वैदर्भि रीति की है. काव्यज्ञों को यह संग्रहणीय है. पृष्ठ 355, मूल्य रु. 3-0-0
SR No.004480
Book TitleSiddhantratnikakhyam Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay, Vidyavijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1929
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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