________________ ( 232 ) 2 रत्नाकरावतारिका, टिप्पणपत्रिका सहित (दो परिच्छेद) -उसी रत्नप्रभसूरि की रत्नाकरावतारिका के ऊपर पं० ज्ञानचंद्रनी और श्रीराजशेखरसूरि का टिप्पण और छपाई और कागज़ सुन्दर हैं / मूल्य 1-0-0. 3 सम्मतितर्क-आदिविक्रम की पण्डितसभा के एक रत्न श्रीसिद्धसेनदिवाकरसूरि की प्रौढ तार्किक लेखिनी से यह लिखा हुआ ग्रन्थ जैनन्याय में प्रथम और उच्च स्थान को प्राप्त कर चूका है। इसी के ऊपर तर्कपश्चानन श्रीअभयदेवसरि की तत्त्वावबोधिनी नामकी प्रौढतम टीका है जिसका यह प्रथम भाग है। सुपररॉयल 8 पेनी साइज़ के पृष्ट 200, कागज़ और छपाई सुन्दर / मूल्य मात्र रु. 1-0-0. 4 षड्दर्शनसमुच्चय ( मूल ) मलधारिश्रीराजशेखरसूरिकृत यह श्लोकबद्ध मूल ग्रन्थ भी दार्शनिक विद्वानों को अच्छा उपयोगी है। मूल्य 0-4-0. 5 जैनतर्कवार्तिक-आदिनैनतार्किक श्रीसिद्धसेनदिवाकराचार्यजी के न्यायावतारादि प्रमाणविषयक श्लोकों के ऊपर श्रीमान् शान्त्याचार्यजीने विस्तृत वार्तिक. रूप में इस अन्य को बनाया है।. पृ० 163 मूल्य रू. 2-0-0.