________________ मम तं कुर्वतः सम्यग, गच्छत्सु दिवसेष्वथ / अन्यदा भावनाभाजो, निद्रा निशि समागता // 408 // तयैव मे भावनया, वृद्धा बुद्धस्य साऽधिकम् / रात्रिशेषे ततो जातः, प्रमोदो विस्मयावहः // 409 // तदा समीपमायातः, सद्बोधः प्रविलोकितः / दृष्टा मया च तत्पार्श्वे, सर्वावयवसुन्दरा // 410 // विमर्शमालतीदामस्फुरत्सौरभसम्पदा / धारणावेणिदण्डेन, लम्बमानेन राजिता , ' // 411 // आस्तिक्यवदना दीर्घप्रमाणनयलोचना / . पीनवैराग्यसंवेगविशालस्तनमण्डला // 412 // आध्यात्मिकमनोवृत्तिस्तोमरोमालिशालिता / गम्भीरात्मज्ञतानाभिः, शमचारुनितम्बभृत् // 413 // सदसत्ख्यातिरम्योरुः, शुचिवृत्ततपःक्रमा / लसत्परापरगुणानुरागकरपल्लवा / // 414 // स्पृहणीयगुणोपेता, हृदयानन्दकारिणी / कन्या विद्याऽभिधा धन्या, स्नेहस्तिमितचक्षुषा // 415 // सा सद्बोधेन पाणौ मे, ग्राहिता लङ्घिता निशा / प्रभाते भगवन्मूलं, गतोऽहं सपरिच्छदः // 416 // वन्दिता मुनयः सर्वे, पृष्टा निर्मलसूरयः / निशोदन्तमभूत् किं मे, तादृशी वरभावना // 417 // किं वा तादृक् समुत्पन्नः, प्रमोदो विस्मयावहः / भगवानाह भूमीश !, समाकर्णय कारणम् // 418 // तुष्टस्ते सदनुष्ठानात्, स कर्मपरिणामराट् / गत्वा सविद्यः सद्बोधस्तेन प्रोत्साहितः स्वयम् / // 419 // . 20.