________________ // 27 // // 28 // // 29 // // 24 // // 25 // // 26 // अन्ने सिद्धंतमहोयहिस्स गंभीरिमं अयाणंता / वंदणतियं दाविति नेय बुझंति भणिया वि जम्हा पच्चक्काणे कयम्मि अहिगे य जायसड्डस्स। वंदणयं दाऊणं तं कीरइ ण उण सव्वत्थ आलोयणे वि गामा गयस्स साहुस्स वंदणं भणियं / पच्चक्खाणालोयणधणिम्मि मुझंति मंदमई अइगरुयमोहविहुणियसुहबोहा केइ धम्ममगणिता / कारिति णंदिमाई सड्ढीणं संजईहितो आरेण अज्जरक्खिय इच्चाईवयणओ न तं जुत्तं / रागद्दोसविमुक्को रे जीव तहिं पि मा मुज्झ आगमरहस्सबज्झा केइ असणाई णिवारेंति / . तं नो कप्पइ सुविहियजईण जेण सुए भणियं जे उ दाणं पसंसंति वहमिच्छंति पाणिणं / जे उ णं पडिसेहन्ति वित्तिच्छेयं कुणंति ते कप्पइ पुण भणिउं जे अम्हाणं णेय कप्पई एवं / सुविहियजईण परलोयमग्गमुग्गं पवन्नाणं जं पि य पिंडविसोहीकहणं सड्ढाण देसियं समए / तं पि य गीयत्थाणं केसिंची ण उण सव्वेसि तत्थ वि तुमं मज्झसु हे जीव ! तह माणधरसु / जो पुर्वसूरिमग्गो, सो सग्गपसाहगो अम्ह विहवाणुसारओ पुण सड्डेणं संजयाण दायव्वं / गुणविरहिआणमुचियं सगुणाण पुणो सुभत्तीए ते य गुणा दंसणाई, विजुया वा संजुया वा सव्वेसि / पुज्जा कप्पाइसुं गंथेसु जेणिमं भणियं 243 // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // // 32 //