________________ // 80 // / / 81 // // 82 // अरहाइनमुक्कारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो होइ पुणो बोहिलाभाय . पंचनवकारमंतो हिययम्मि पइट्ठिओ भवे जस्स / मोहपिसाओ न जिणेइ तं नरं, तरइ य भवोहं पंचनमुक्कारसुसिण्णसंजुओ परभवे पयाणम्मि / वट्टइ सो वरजोहो व्व, तं न विद्दवइ कम्मरिऊ पंचनमोक्कारवरत्थसंगओ अणसणावरणजुत्तो / वयकरिवरखंधगओ मरणरणे होइ दुज्जेओ एवंविह वरमरणं सरणं सत्ताण दुक्खतत्ताणं / पाविति परमकल्लाणकारणं केवि भव्वजिया इय अभयसूरिरइयं आराहणपगरणं पढंताणं / सत्ताण होइ नियमा परमा कल्लाणनिप्फत्ती // 83 // // 84 // // 85 // // 1 // // आराहणा॥ (सुलसश्रावकेण कारिताऽर्यपुत्रजिनशेखरश्रावकस्यन्तिमाराधना) भो भो महायस ! तुहं जीहाखलणेण संपयं मन्ने / पच्चासन्नं मरणं, ता संपइ होसु उवउत्तो जे न वि रुहंति इहइं रागाईबीयदड्डभावाओ / / संसारजलहिपोए ते अरुहंते सरसु इण्डिं . जे वंदणाइ अरहंति जे य महपाडिहेरपूयाओ / भवअडविसत्थवाहे ते अरहंते सरसु इण्हिं जेहिं हया मोहाई महारिणो भवनिबंधणा घोरा / वीरियवरदंडेणं ते अरिहंते सरसु इण्हेिं 219 // 4 //