________________ संजोगमूला जीवेणं पत्ता दुक्खपरंपरा। ' तम्हा संजोगसंबंधं जावज्जीवाए वज्जए // 68 // जम्म-जरा-मरणजलो अणाइमं वसणसावयाइण्णो। जीवाण दुक्खहेऊ कटुं रुद्दो भवसमुद्दो .. // 69 // धण्णो हं जेण मए अणोरपारम्मि नवरमेयम्मि / भवसयसहस्सदुलहं लद्धं मे धस्मजाणं तु // 70 // एयस्स पभावेणं पालिज्जंतस्स सइ पयत्तेणं / / जम्मंतरे वि जीवा पावंति न दुक्ख-दोमच्चं // 71 // चिंतामणी अउव्वो एस अउव्वो य कप्परुक्खो त्ति / एयं परमो मंतो एयं परमामयं एत्थ // 72 // एत्थं वेयावडियं गुरुमाईणं महाणुभावाणं। जेसिं पभावेणेयं पत्तं तह पालियं चेत्र // 73 // तेसिं नमो, तेसिं नमो, भावेण पुणो वि होउ तेसिं नमो / अणुवकयपरहियरया जे एवं दिति भव्वाणं // 74 // संपुण्णचंदवयणं सिंहासणसंठियं सपरिवारं / झाएइ य जिणचंदं देसितं धम्ममोसरणे // 75 // अहवा जीवाईया जिणसमए जे जहट्ठिया भावा / / भावेज्ज ते तह च्चिय रागं दोसं च मोत्तूणं . . // 76 // आसन्नागयमरणो पंचनमोक्कारमायरतरेणं / गेण्हइ अमोहसत्थं संगाममुहे वरभडो व्व // 77 // अरहंताणं तु नमो, नमो त्थु सिद्धाण, तह य सूरीणं / उज्झायाणं च नमो, नमो त्थु सव्वेसि साहूणं // 78 // इय पंचनमुक्कारो पावाण पणासणोऽवसेसाणं... . तो सेसं चइऊणं सो गेज्झो मरणकालम्मि.. // 79 // नमो। 218