________________ // 3 // अदादिगणप्रकाशः तृतीयः पल्लवः // आदावदंक अदनेऽथादाता: प्सांक पूर्ववद्वांक। गतिगन्धयोविक लवने ख्यांक प्रकथनार्थः // 175 // लांक आदाने ष्णांक तु शौचेऽथ द्रांक कुत्सितगतौ स्यात् / श्रांक पाके रांक दाने भांक दीप्तौ प्रांक पूरणे मांक् तु // 176 // माने पांक तु रक्षण इह यांक प्रापणे ह्यथेदन्ताः। इंक स्मरणे इंण्क गमने इंङ्क् तु अध्ययने // 177 // ईदन्तौ वींक खादनकान्तिप्रजनासनेषु गमने च। .. शीङक् स्वप्न उदन्ताः पुंक् प्रसवैश्वर्ययोः स्नुक् तु // 178 // प्रस्रवने णुक ष्टुंगक् स्तवने तुंक् वृत्तिपूरणवधेषु / टुक्षु रु कुंक निनादे क्ष्णुक तेजन एषु मिश्रणे युक् स्यात्॥ 179 // आच्छादन ऊर्गुगक छुक् अभिगमे हनुङक् तु अपनयने / ऊदन्तौ षूडौक् प्राणिगर्भमोक्षे गिरि बूंगक् // 180 // व्यक्तायामथ चान्तौ वचंक वचने पृचैकि संपर्के / जान्ताः पिजुङ् पृजुङ् द्वौ प्राग्वत् शुद्धौ मृजौक् णिजुकि।। 181 // वृजैकिं वर्जने शब्दाव्यक्तत्वे शिजुकि स्मृतः / / डान्त ईडिक् स्तुतौ तान्तः सस्तुक् स्वप्नेऽथ दान्तकः // 182 / / विदक ज्ञाने नान्तो हनंक गतिहिंसयोरथो रान्तः / ईरिक गतिकम्पनयोः शान्तावीशिक् तु ऐश्वर्ये // 183 // वशक तु कान्तौ षान्तौ द्विषीक अप्रीतिनिर्मितौ सान्ताः / . षसक स्वप्नेऽस्क् भुवि आङ शासूकि इच्छायाम् // 184 // कसुकि तु गतिसातनयोराच्छादे वसिक चुम्बने 'णिसुकि। उपवेशनार्थ आसिक् हान्ता आस्वादने तु लिहीक् . // 185 // 294