________________ / पघाताहसयाः / जेषङ् णेषङ् एषङ् हेषङ् गमने भये तु भेषग् स्यात् / कष शिष जष झष वष मष मुष रुष रिष यूष जूष शष चष तु / हिंसर्थ मूष अलङ्काउथ हयू अलीकार्थः // 130 // जिष् विषू मिषू निषू वृषू पृषु तु सेचने / मृष् तु सहने चोषू श्रिषू श्लिषू पुषू प्लुष // 131 // दाहे घृषू तु संघर्षे वृषू संङ्घातहिंसयोः / ईष उञ्छे लूष मूष स्तेये कृषं विलेखने / // 132 // अदने चषी पषी तु स्यात् स्पर्शनबाधयोश्छषी हनने / दप्तौ त्विषीं तथाऽषी स्याद् गत्यादानयोश्च हि झषी तु // 133 / / चीवृगवत् पूष भवेद् वृद्धौ सान्ता असी अषी तुल्ये / इस रस तुस ह्रसश्रित् रासृङ् णासृङ्'निनादार्थाः // 134 // भवति शसू हिंसायां शंसूस्तवने च तसु अलङ्कारे / घस्लुं अदनेऽथ हसे हसने संसूङ् प्रमादार्थः // 135 // पिसृ पेस वेसृ गमने णसि कौटिल्ये ग्रसूङ् ग्लसूङ् अदने / कासृङ् खकुत्सायामाङ् पूर्वः शसुङ् इच्छायाम् / // 136 // भासि टुभ्रासि टुझ्लासृङ् दीप्तौ भ्यसि तु साध्वसे। स्यात् घसुङ् करणे श्लेषक्रीडयोस्तु लस स्मृतः // 137 // दासृग् दानेऽथ हान्ताः स्युर्दहं भस्मीकृतौ स्मृतः / वर्हि वल्हि प्रधानत्वे गहि गल्हि तु कुत्सने // 138 // ग्लाहौङ् ग्रहणे द्राहङ् निक्षेपणार्थेऽथ वेहङ् / जेहङ् वाहङ् प्रयत्नार्था रहु प्लिहि अहुङ् गतौ // 139 // माहग् मानेऽथ गृहौग् संवरणे सेचने मिहं धातुः / . ऊहि वितर्के गाहौङ् विलोडने ईहि चेष्टायाम् // 140 // 20