________________ भलि भल्लि तु परिभाषणहिंसादनेष्वथो वकारान्ताः / पर्वयुतपूर्व मर्व प्रपूरणे चर्व अदनार्थे // 119 // कर्वयुतखर्व गर्व तु दार्था मर्व धवु शव धविश्रित् / रेवङ् गमने धावृग् शुद्धौ चाथोद्यमे गुर्वै // 120 // उर्वे तुर्वे थुर्वै दुवै धुर्वे तथाऽर्व जुर्वैयुम् / शर्वयुतभर्व कदने मुर्वे मव बन्धने ख्याती // 121 // अव रक्षणे प्रवेशे तृप्तौ कान्तौ गतौ क्रियादीप्त्योः / अवगमने च प्रीतौ स्वाम्यर्थे याचने श्रवणे // 122 // हिंसायामिच्छायां वृद्धावालिङ्गने तथाऽवाप्तौ / दहने भावे प्रोक्तः ष्ठिवू क्षिवू निरसने स्याताम् // 123 // जीव असुधारणे स्यात् पिवु मिवु निवु सेचनेऽथ पीवश्रित् / मीवयुततीव णीव च नीव स्थौल्ये हिवु दिवुश्रित् // 124 // जिवु संप्रीणन इवु तु व्याप्तौ चादानसंवरणयोस्तु / चीवृङ् तेवृङ् देवृङ् द्वौ स्यातां देवनार्थेऽत्र // 125 // षेवृङ् सेवृङ् केवृङ् खेवृङ् गेवृङ् तथा च पेवृझ्युम् / ग्लेवृङ् प्लेवृङ् म्लेवृङ् स्युः सेवनेऽथ दश शान्ताः // 126 // कश शब्देऽथो मिश मंश रोषार्थे चाथ णिश समाधौ स्यात् / दाशृग दानेऽथ शश प्लुतिगमने प्रेक्षणे दृशं // 127 // दंशं दशने काशृङ् प्रभासने क्लेशि बाधने षान्ताः / भाषि च वचसि व्यक्ते कान्तीकरणे घुषुङ् प्रोक्तः // 128 // . गेषङ् अन्विच्छायामीषि तु दर्शने गतौ वधार्थेऽपि / . हेषङ् रेषङ् वाच्यव्यक्तायां पर्षि तु स्नेहे // 129 // . 280