________________ अवदारणे कनै तु प्रकाशशोभागतिष्वथो पान्ताः / रप लप जल्प व्यक्ते वचने जप मानसे च स्यात् // 95 // धूप तपं सन्तापे त्रुप तुम्प त्रुम्प तुप तु हिंसायाम्। सृप्लं गतौ चुप स्यान्मन्दायां रक्षणे तु गुपौ // 96 / / तिपृङ् ष्टिपृङ् ष्टेपृङ् क्षरणे तेपृङ् तु कम्पने चोक्तः / गुपि गोपनकुत्सनयोग्→पृङ् दैन्ये च चलने च // 97 // केपृङ् कपुङ् टुवेपृङ् गेपृङ् चलने त्रपौषि लज्जायाम् / मेपृङ् रेपृङ् लेपृङ् गमने चप सान्त्वनेऽथ शपीं // 98 // आक्रोशेऽथ षपस्यात् समवाये फान्तकास्तुफ त्रुम्फ / त्रुफ तुम्फ हिंसने रफ रफु वर्फ गतावथो बान्ताः // 99 // अर्ब रब कर्ब खर्ब तु गर्बयुतश्चर्ब तर्ब नर्ब रिबु / पर्बयुतबर्ब शर्ब तु पर्ब तथा सर्व गमनार्थाः // 100 // लुबु तुबु तु अर्दने चुब् मुखसंयोगेऽथ कुबु समाच्छादे / अबुङ बुङ् शब्दार्थों लबुडू अवलंसने च स्यात् // 101 // क्लीबृङ् धााभावे क्षीबृङ् तु मदे कबृङ् तु वर्णे स्यात् / भान्ताः सृभू षिभू सृभू त्रिभू भर्भ हिंसायाम् // 102 // शीभृङ् चीभृङ् शल्भि श्लाघायां वल्भि भोजनार्थेऽथ / डुलभिष् प्राप्त्यर्थे ष्टभुङ् स्कभुङ् ष्टभूङ् स्तम्भे // 103 // , रेभृङ् अभुङ् रभुङ् युग् लभुङ् निनादे एभि तु राभस्ये / जभुङ् जभैङ् जुभुङ् स्युर्गात्रविनामेऽथ गल्भि धाष्टथै स्यात् // 104 // सुरते यभं जभ द्वौ शुम्भ तु वधकथनयोरथो मान्ताः / अम हम्म द्रम गम्लं मीम गतावुपरमे तु यमूं // 105 // टम षम वैक्लव्यार्थौ स्यमू निनादे तथाऽम भजने च / प्रत्वे तु णमं स्यात् पादत्यासे क्रमू धातुः // 106 // .. .. 287