________________ जट झट सङ्घाते पिट शब्दे चावरणवर्षयोस्तु कटे। . शट विशरणगमनरुजावसादनेषु ध्वनौ तु विट // 59 // वट वेष्टि वेष्टने किट खिट उत्तासे प्रमईने तु मुट। . तट उच्छाये हेट तु बाधायां भट भृतौ चिट प्रैष्ये / // 60 // अट पट इट किट कट कटु कटे गतौ णट नृत्तौ खट तु काक्षे / / षट अवयवे लुट स्याद्विलोटने कुटु तु वैकल्ये // 61 // चुट चुटु अल्पीभावे हट दीप्तौ वटु विभाजने लट तु / . परिभाषणशैशवयोरथ रट परिभाषणे रेट्टग् . // 6 // प्रणये च शिट षिट द्वावनादृतौ ठान्तका अठुङ्गमने / कठुङ मठुङ् शोकार्थों बाधायां हेठि एठि द्वौ // 63 // परिभाषणे रठ स्याद् व्यक्तायां वाचि पठ वठ स्थौल्ये / मठ मदनिवासयोश्च प्रोक्तः कठ कृच्छ्रजीवनके // 64 // उठ रुठ लुठ उपघाते अठ रुठु गमनेऽथ हठ बलात्कारे। पिठ हिंसासंक्लेशार्थयोः शंठ व्याजकरणे च . // 5 // शुठ गमनप्रतिघाते कुठु लुठु आलस्यके च शुठु शोषे / मुठुङ् तु पलायने स्याद् वठुङ् भवेदेकचर्यायाम् // 66 // डान्तास्तुडुङ् प्रमये चडुङ् तु कोपेऽथ शौड़ गर्वार्थः / खुडुङ् गतेर्वैकल्ये कडुङ् मदे खडुङ् मन्थार्थः // 67 // तुड़ तूड़ तोडनार्थे क्रीड़ विहारेऽथ मडु विभूषायाम् / अड उद्यमे पुडु स्यात्प्रमईने खण्डने च मुडु // 68 // गडु तु वदनैकदेशे मेड्युतमेड़ लोड़ तथा / . म्लेड भवेन्दुमादे हुड हूड हूड हौड़ गतौ हट हट दौड गतौ // 69 // रोड्युतरौड़ तौड़ त्वानादरे कडु मदे लड विलासे / यौड़ तु सम्बन्धे विड आक्रोशे कडु कार्कश्ये ' // 70 // 284