________________ // 558 // // 559 // // 560 // // 561 // // 562 // // 563 // एकद्वित्रिचतुःपञ्चचतुर्विंशत्यह:क्षयात् / एकादशादिपञ्चाहान्यत्र शोध्यानि तद्यथा एकादश दिनान्यर्कनाड्यां वहति मारुते / षण्णवत्यधिकान्या षट् शतान्येव जीवति तथैव द्वादशाहानि वायौ वहति जीवति / दिनानां षट्शतीमष्टचत्वारिंशत्समन्विताम् त्रयोदश दिनान्यर्कनाडीचारिणि मारुते / जीवेत्पञ्चशतीमलां षट्सप्ततिदिनाधिकाम् चतुर्दश दिनान्येवं प्रवाहिणि समीरणे / अशीत्यभ्यधिकं जीवेदां शतचतुष्टयम् तथा पञ्चदशाहानि यावद्वहति मारुते / जीवेत् षष्टिदिनोपेतं दिवसानां शतत्रयम् एकद्वित्रिचतुःपञ्चद्वादशाहकमक्षयात् / षोडशांद्यानि पञ्चाहान्यत्र शोध्यानि तद्यथा प्रवहत्येकनासायां षोडशाहानि मारुते / जीवेत्सहाष्टचत्वारिंशतं दिनशतत्रयीम् वहमाने तथा सप्तदशाहानि समीरणे / अा शतत्रये मृत्युश्चतुर्विंशतिसंयुते .. पवने विचरत्यष्टादशाहानि तथैव च / . नाशोऽष्टाशीतिसंयुक्ते गते दिनशतद्वये / विचरत्यनिले तद्वद्दिनान्येकोनविंशतिम् / चत्वारिंशद्युते याते मृत्युदिनशतद्वये विंशतिदिवसानेकनासाचारिणि मारुते / साशीतौ वासरशते गते मृत्युर्न संशयः . 115 // 564 // // 565 // // 566 // // 567 // // 568 // // 569 //