________________ // 12 // - // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // बौद्धमध्रुवमद्रव्यसांख्यं काणादमन्यथा। . लोकः पुरुष इत्येतदवक्तव्यं शरीरवत्. . निमित्तेश्वरकर्तारः प्रकाशनृपशिल्पिवत् / यथेष्टसाधनोत्कर्षविशेषापायवृत्तयः स्वभावोऽर्थोऽन्तराभावा नियमा व्यभिचारतः। इष्टतोऽन्यदनेनोक्ता देशकालसमाधयः लक्ष्यलक्षणयोरेवं देशधर्मविकल्पतः / . सदादिप्रतिभेदाच्च निवप्रतियोजनाः , ' चैतन्यबुद्ध्योविच्छेदः परिणामेष्वसंश्रयात् / न विकल्पान्तरं भोक्तुरनेनोक्तं सुखादिवत् शरीरविभुता तुल्यमानन्त्यगुणदोषतः। संसारप्राप्त्यभिव्यक्तिर्विकल्पा: कारणात्मनः गुणप्रचयसंस्कारवृत्तयः कर्मवृत्तयः / / अनाद्यनन्तरावश्ययथाचेतरयोगतः . भूतप्रत्येकसंयोगसामान्यार्थान्तरात्मकम्। . पञ्चधा बहुधा वापि कार्यादेकादिवेन्द्रियम् जातिप्रत्ययसामान्यचरस्थिरचरन्मनः / उभयं विभवा देहलोकयोरनुगामि च रूपादिमानं द्रव्यं च पिण्ड एक विकल्पवान् / समस्तव्यस्तवृत्तिभ्यामर्थपरिणतेरपि सदसत्सदसन्नेति कार्यकारणसंभवः / अनित्यनित्यशून्यत्वे शेषमित्युपपादितम् अवस्थितं जगत्सत्त्वाद्धात्वसत्प्रक्रियात्मकम् / धर्माधर्मस्वभावेष्टिपुरुषार्थनिमित्ततः // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // 2