________________ // 425 // // 426 // // 427 // // 428 // // 429 // // 430 // तेणेवागमवयणं उद्दिटुकडं पि भुंजई सड्ढो। कयसामइओ वि निसीहभासचुण्णिप्पमुहगंथे अण्णहऽवहिंमपुण्णे लोवे वयभंगपावयं पयडं। तेणं तम्मयसावयसामइए पोसहे असुहं निद्दा विअ गुरुआणापुव्वं सा चेव धम्मअणुकूला। जह संथारापोरसिपढणंतरसाहुनिद्द त्ति सामाइअपोसहेसुं उच्चारो सावयाण तिक्खुत्तो। जुत्तो त्ति अ जिणदत्तो भणइ जहा अणुवउच्चारो न मुणइ मूढो लोगट्टिइं पि बहुकालसज्झ मह कज्जं / तत्तुलं कहमिअरं तिहिरिक्खपलोअणाईहिं अण्णह वासक्खेवप्पमुहं उववासमाइउच्चारे। जुज्जइ तम्मइ मग्गे अण्णं पि महव्वयाइव्व पोसहविहिम्मि जिणवल्लहेण इगवयणभणणओ इक्को / दंडगमाउच्चारो परिचत्तो तेण पयडो वि साहूणं उवहाणं गिहि व्व अहिअंति जेण तक्किच्वं / आवस्सयजोएणं सिद्धं सिद्धंतबुद्धीणं उस्सग्गेण कसेल्लयजलगहणं साहुणा वि ही मोहा / तं चिअ मट्टिअभायणसंगइअं कह णु तसजयणा? तसजयणाइअभावे संजमलेसो वि दूरतरवडिओ। एवंविहो वि मग्गो उम्मग्गो केरिसो हुज्जा ? सावयकुलपडिसिद्धं पज्जुसिअविदलमाइ जं रद्धं / . सिद्धंतवयणमलिअं भणिऊणं भक्खए मुक्खो रत्तंतरिअं विदलं चलिअरसं पोलिआ उ लालजुआ। ओसन्नं तेण तयं न भुंजई साणुकंपमई 364 // 431 // // 432 // // 433 // // 434 // // 435 // // 436 //