________________ वाइपडिवाइकूला, पवयणदहनिग्गयाऽऽणुपुवीए // पुव्वुत्तरपयवुड्डा, अणुमाणोगाढगूढदहा // 60 // तिहिआराहणसंका - तपतविआणेगभविअपीइकरी // गाहासंगइवलणा, बुहजणमइतुंबितरणिज्जा . // 61 // बाणरयणीसरसभूमिअ - विक्कमवच्छरम्मि महुमासे // जिणजणियधम्मसायस्इ तत्ततरंगिणी जयउ . // 62 // उपाध्यायश्रीउदयविजयजीगणिविरचिता // पट्टावलीविसुद्धीः // पणमिअ पासजिणिदं संखेसरपुर इट्ठिअं धीरं / पट्टावलीविसुद्धि, सम्मं सुअणाण दंसेमि // 1 // पट्टधरो पइ गच्छं एगोणेगेव जेसि गणणुण्णु[०ण्णा] / गुरुणेव कया विहिणा, णउणं सा वीससावि भवे // 2 // गणणुण्णाइ कयाए, पट्टो दिण्णो हविज्ज णियमेणं / आयरिआ हीणंता पट्टधरत्तं णउ सयंभु // 3 // भट्टारगो णिमित्तं, पट्टधरत्तस्स तं च तक्कज्जं / एवं च कज्जकारणभावो उभयट्ठिओ णियमा // 4 // संतम्मि कारणम्मि कज्जुप्पत्तीइ सो हवइ सिद्धो / तेण निमित्ताभावे, कज्ज होइ त्ति दुव्वयणं जह जण्णजणगभावो पितिपुत्ताणं धुवं सपियरम्मि / संतम्मि व नासते पुत्तुप्पत्तीइं संभवइ . // 6 // होऊण पुणो तम्मि अ, ठिअम्मि भावम्मि तेसिमण्णयरो / पितिपुत्तमाइयाणं संतो संतो वि वा हुज्जा 348 // 7 //