________________ // 49 // जह सिद्धन्तविरुद्धं, करिज्जमाणं पि जेण चिन्धेण // जाणिज्जइं तं चिन्धं, सुयाणुसारेण वुच्छामि // 48 // अणुओगसुत्तवित्ति - चुण्णिप्पमुहेसु पुत्तिरयहरणं // सढाणं सड्डीणं - जिणकहियं बिंति णो कहियं केइ पुणो मइमूढा, सड्डाणं साहुउवएसं // पोसहमतिहिसुदाणं, पव्वेसुं चेव चरियव्वं // 50 // गन्थन्तरेहिं गन्थं, संवाएउं विचेअणा जे उ // पवयणदेसं गहिउं, विवरीयं ते परूवेन्ति // 51 // जिणपडिमाण पइट्ठा, पइट्ठकप्पम्मि साहुसंदिट्ठा / वीरचरिए कया वि य, चुण्णेणं कविलकेवलिणा // 52 // सत्तुंजयमाहप्पे, दिट्ठा सिरिणाभसूरिसामिकया / तह सूरिपरंपरएण आगया लोयविक्खाया : तं दट्टण विरुद्धा (ट्ठा) पुट्ठा मोहेण बिंति साहूणं // . नो जुत्तं किंतु पुणो, गिहत्थकिच्चं मुणेयव् . // 54 // तेसिं ठवणायरिय - ट्ठवणं पि न सु (जु) ज्झए य अन्नं पि // सूरिपयाइ य ठवणा, किं तह य (किच्चं कह) कीरए तेहिं ? // 55 // एवं वियाणिऊणं, सूरीहिं जिणिंदपडिमसुपइट्ठा // कारिज्जइ सुहहेऊ, जिणवयणविऊहिं सड्डेहिं . // 56 // इह सिद्धन्तविरुद्धं, जं किंचि वि हुज्ज तं पि.नाऊणं // मज्झत्थो गीयत्थो, जो अ न सोहेइ से दोसो // 57 // जो पुण आगमसंगयमवि मुणिऊणं पि मच्छरंधमणो // नो मन्नइ सो वज्जो, मन्नइ सो तिहुअणे पुज्जो // 58 // एवं तवगणगयणे, दिणयरसिरिविजयदाणसूरिपया // लहिऊण णाणलेसं, रइया गम्भीरनिग्घोसा // 59 // 347