________________ केइ वि भणंति अम्हे मण्णामो सुत्तमेव सिद्धतं / केइ वि सुत्तं सुत्ताणुसारि निज्जुत्तिपमुहं पि. // 32 // केइ वि सुत्तविवेगं अमुगं अमुगं च नेति विण्णाणा।.. सव्वे मक्कडतावणकप्पं कप्पंति धम्मपहं ... // 33 // जिणभणिअमत्थमुत्तिअरयणेहिं सुत्तदोरिरइएहिं / हारो चक्खुहरो कविकंठपइट्ठो पहाविट्ठो // 34 // तत्तो केवलसुत्तं महिअ चइज्जा वि मुत्तिआपमुहं / बालो त्ति उवलभारं मण्णंतो पंडिअंमण्णो // 35 // अहवा सुत्तनरेणं ववहारो जइ हविज्ज फलवंतो। . ता केवलसुत्तेण वि धम्मपवित्ती वि फलवंती // 36 // अहवा केवलसुत्तं सिद्धंतं भणंइ सुद्धधम्मकहं / सो सिरहीणनरेणं कओ विआरो त्ति घोसेइ // 37 // जह चित्ती नरचित्तं लेहंतो पढम सीसमालिहइ / तह सिद्धंतनरस्स वि अत्थों सीसं जिणिंदुत्तो . // 38 // केवलसुत्तरुई पुण सद्दत्थविआरणं पि कुणमाणो / विवरीअमेव अत्थं भासइ इहमिणमुदाहरणं // 39 // निववयणा जहसंभवणाणारूवाई चित्तलिहिआई। ते अन्नसन्नवाई भण्णइ बज्झो त्ति जह मुक्खो // 40 // तह जिणभासिअ अत्था सीसपसीसाइरइअसुत्ताई। अण्णत्थवाई तेसिं भण्णइ तित्थेण बज्झो त्ति // 41 // कम्मखओवसमा खलु सिद्धंतो सुद्धबुद्धिसंबद्धे / . सोऽभिनिवेसाभिगओ विवरीओ एस परमत्थो // 42 // जो पुण पुत्थे लिहिओ सिद्धंतो सो अ दव्वंओ दव्वं / जं जं भावं पगयं पमाणं तं तेण भावेण // 43 // 335