________________ निअनिअरुइविसयाणं देवाणं सारणाइहेउ त्ति / सद्दिट्ठीणं सुहया विवरीआ मिच्छदिट्ठीणं // 20 // तेणऽन्नउत्थिएहिं गहिआ षडिमा वि तेसि णो सुहया / तम्मयपसंसणाईदोसा दुस्सावि तित्थेणं // 21 // परमत्थओ न नामारोवो पडिमासु उसहमाईणं / जं इअ ठवणसहावो अण्णह ठवणा वि णो हुज्जा // 22 // अहवाऽऽरोवो वि भवे जइ जिणपडिमासु हरिहरुल्लावो / हरिहरपडिमासु तहा जिणाईसन्न त्ति पावमई / // 23 // तित्थजुओ तित्थयरो विगप्पिओ दंसिओ अवत्तपहे। अह सिद्धतं पि तहा विगप्पिअं किंचि दंसेमि // 24 // जिणसमए सिद्धंतो निज्जुत्तिप्पमुहअत्थपरिकिण्णं / . सुत्तं गुरुकमविहिणा अहीअमहीणं पि जं संतं // 25 // तं सुत्तं णेगविहं णाणारयणाहिं पुरिसपुव्वीहिं / अत्थो न यऽणेगविहो जहिंदसक्काइसद्दत्थो . // 26 // जह मेहा जलमेगं अविणासयऽणेगभायणाहिगयं / णो भिन्न भिन्नं पुण असुइगयं तह अरिहभणिअं // 27 // सुत्तं भायणकप्पं अत्थो जलसन्निहो तओ भिण्णो / विवरीअसन्निओ जो णरसण्णाविरहिओ णेओ . अमुगं सुत्ते भणिअं भणिअं अमुगं च पगरणप्पमुहे। इअ ववहारों अइसथणाणिविवक्खाइ विक्खाओ // 29 // अण्णह पगरणपमुहं सुत्तं चिअ सुत्तलक्खणेण जुअं। जो पुण भिण्णुवएसो कुंभाइजलुव्व अविरुद्धो / // 30 // तत्थ वि संतिक्कक्खरलोवी अहिओ विलक्खणो भिण्णो / सो सिद्धताभासो का वत्ता देसदेसेहिं ? // 31 // 334 // 28 //