________________ // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // तस्स मई पढमिरिआ सामण्णं तं महानिसीहवयं / जं पुण पच्छा इरिआ तं खु विसेसु त्ति चुण्णीए तं मिच्छा जं पच्छेरिआइ-न किंचि पओअणं भणिअं। न य पढमा पडिसेहो नाडोवो पुत्तिपमुहेहिं केवलनामुच्चारो सगिहे तह साहुमूलि आलावो / जं तं विसेसवयणुल्लवणं उम्मत्तकेलिसमं पढमिरिआइपओअणमुवइटें तयणु धम्मणुट्ठाणं / सामण्णं तं वयणं जंपतो देवतायत्तो जं पुण पच्छा इरिआ चिइगमणतिरोहिआ न सामइए / तम्हा कुपक्खकप्पिअअत्थसमत्था न सा इरिआ किं तु पहगमणकिरिआपडिसेहपयासयं इमं वयणं / जं पंचमाइ वयणं पंचासयजोगुवाएसु . पुव् िपच्छा दुण्ह वि एगट्ठा जइ हवंति ता णूणं / . दो इरिआ सामइए सिद्धा सिद्धांतअविरुद्धा . अहवा दसवेआलिअवित्तीइ विसेसिऊण भणिअव्वं / हुज्जा हरिभद्देणं अण्णह भदं न निअवयणे पढमिरिआपडिसेहो आगममित्ते ण केणई सुणिओ / पढमा निमित्तबीया बीआ णिब्बीर्यया णेआ. पोसहिए सामइए पढमिरिआ सम्मया य तस्समए / ता इअरेणऽपरद्धं किं ? कोवो जेण तस्सुवरिं जइ केवलसामइए दिट्ठा पच्छा पुणो न पोसहिए / ता किमदिळें पढमा पडिसेहं कुणइ मूढमणो अहवा पढम इरिअं उवएसंता वि अम्ह आयरिआ / निअयनिबंधे पच्छा तुच्छं भासंति कह विबुहा ? . . 331 . // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // // 21 //