________________ जुगवरजिणचंदाणं, आणं लहिऊण कयपमोयाणं / सुपमोयपयरएण य, गणिणा "जयसोम"नामेणं // 36 // // 2 // // 4 // महोपाध्यायश्रीमद्धर्मसागरगणिकृता ॥ईर्यापथिकीषट्त्रिंशिका // पणमिअ जिणवरवीरं, जुगपवरं हीरविजयसूरिवरं / इरिआवहिअविआरं भणामि किरिआण सुद्धिकरं पढमं इरिआ किरिआमित्ते मुणिआ महानिसीहाओ / पासायपायरोवणमाइम्मि मणोहरासुमयं वावरंतरसत्ते चित्ते विण्णाणमाइ नाहिमयं / आरंभाइपवत्ते चित्ते कह धम्मणुट्ठाणं ? सड्ढाणं सामइअं दुविहंतिविहेण होइ जिणभणिअं। मणवयकायविसोही कायव्वा तेण धीरेण इरिआए मणसुद्धी पुत्तिप्पेहाइ तयणु तणुसुद्धी / वायासुद्धी सिद्धा पडिकंतो भणइ जं निउणं . // 5 // अण्णह एगविहेणं पुत्तिप्पेहाइ जेण तणुसुद्धी / तं पि मुसा जं इरिअं विणा णु णो पुत्तिपडिलेहा कज्जं हेऊअणुरूवं परूविअं पुण्णपावुदाहरणा / लोइअलोउत्तरिए मग्गे सग्गे वि जह भेओ केइ वि पच्छा इरिआवहिआएँ पडिक्कमेत्तिपयभंता / ' सामइए णो इरिआ पढमं जुत्तं ति जंपंति तस्सुवएसो लुआलालाजालं व खुद्दमुद्दाणं / / जुत्तिसलायं गहिउं छेआ छिदंतु तं जालं // 7 // // 8 // 330