________________ दुण्ह वि य अयाणंते पच्चक्खाणं पि.जं मुसावाओ / आलोयणा वि एवं गहिया हुज्जा मुसावाओ // 132 // दो तिन्नि य विगईओ पचक्खन्तेण मुक्कला उ कया। ताऊ भोयणसमए सव्वा भुत्ता गुडेण विणा // 133 // ता खंडसक्कराओ सो भुंजइ किं नवेति इय पुच्छा। (उत्तरमेवं) तत्थ उ सो वि न भक्खिज्ज खण्डाइ // 134 // जइ पित्ताई रोगो सो खण्डाईहिं उवसमइ तस्स / ता तग्गहणं जुत्तं रसगिद्धीए न तं भुज्जे // 135 // जं संगरराईओ भवंति विदलं नव त्ति पुट्ठाओ / तत्थेवं भन्नइ राइयाउ विदलं न भण्णंति // 136 // वरहासाईसु ठाणेसु ताओ जं घाणगम्मि पक्खितुं / पीलिज्जंती तिलसरिसवुव्व तिल्लं वि य मुयंति // 137 // जह किर चवलयचणया विदलं तह संगरा वि विदलं ति / दिणचरिया नवपयपयरणेसु लिहिया उ फलिवग्गे // 138 // न य संगरबीयाओ तिल्लुप्पत्ती कया वि संभवइ / दलिए दुन्नि दलाई मुग्गाईणं व दीसंति // 139 // एवं कंडुय गोवारपभिइमारन्नियं भवे बिदलं / एयं न सावएणं भुत्तव्वं गोरसेण समं भणियं // 140 // पंचुंबरि चउविगई हिमविसकरगे य सव्वमट्टीय / राईभोयणगं चिय बहुबीयणंतसंधाणं // 141 // घोलवडावायंगण अमुणिय नामाई पुष्फफलयाई / . तुच्छफलं चलियरसं वज्जह वज्जाणि बावीसं // 142 // मणुय सुरतिरिय विसयं दुविहं तिविहेणं थूलगमबंभं / सवसा चयामि मुत्तुं सयणाइ सदार कारवणं' // 143 // 208