________________ // 76 // // 77 // पंचासगेसु पंचसु वंदणगा नेव साहुसवाणं / लिहिया गीयत्थेहिं अन्नेसु य समयगंथेसु // 72 // देवालयम्मि सावयपोसहसालाइ सावगाणेगे। जइ हुंति ते वि तिपणट्ठ साविया जंति निसुणंति // 73 // जत्थ न हु सुविहिया हुंति, साहुणो सुविहिया वि ते इत्थ जे / गीयत्था सुत्तत्थदेसगा तेसिं विरहम्मि // 74 // जं मुणइ सावओ, तं कहेइ सेसाणं किं न जं पुढें / पच्चुत्तरमेयं तत्थ कहइ जइ सो वि याणाइ तं // 75 // सुगुरूणं च विहारो जत्थ न देसम्मि जायए कह वि / पयरणवियारकुसलो सुसावगो अत्थि ता कहउ आलोयणानिमित्तं कहं तवं कुणइ साविया सड्ढो / इय पुढे इणमुत्तरमिह भन्नइ भो निसामेह . पंचपरमेट्ठिपुव्वं ठवणायरियं ठविउं विहिणाओ / तत्थ खमासमणदुगं दाउं मुहपुत्तिप्नेहणयं तत्तो दुआलसावत्तवन्दणंते य संदिसाविज्जा / आलोयणातवं तो दिज्जा अण्णं खमासमणं // 79 // एवं भण्णइ तत्तो करेमि आलोयणातवं उचियं / उस्सग्गेणं तत्तो कुणइ तवं अत्तसुद्धिकए // 80 // सज्झायतवसमत्थो जइ सड्ढो साविगा वि अह हुज्जा / ता अणिगूहियविरिया कुणंति तवमागमुत्तमिणं // 81 // आलोअणानिमित्तं पारद्ध तवम्मि फासुगाहारो / सचित्तवज्जणं बंभचेरकरणं च अविभूसा // 82 // इंगालाई पनरसकम्मादाणाण होइ परिहारो / विकहोवहासकलहं पमाय भोगतिरेगं च // 83 // // 78 // . . . 273